जल एवं वन सरंक्षण
जल संरक्षित न करते हम सब,
तालाबों को न भरते हम सब॥
जल तो बर्बाद करते दिन भर,
कभी न करते चिंता हम सब,
जल के अभाव में पलते हम सब,
खुद का जीना खुद ही दुर्भर करते हमसब॥
नित नित पेड़ काटते हमसब,
जंगलों को बांटते हम सब॥
और न कोई पेड़ लगाते हम सब,
ताजी हवा को तरसते हम सब॥
बादल भी नही बरसते हमपर ॥
खुद का जीना खुद ही दुर्भर करते हम सब
ऐसा वक्त भी आयेगा इक दिन
कोई पानी पी न पाएगा इक दिन॥
फिर बिन पानी बिन पेड़ो के आखिर,
जीवन कैसे संभव होगा सोचो॥
यारो नाही कोई मीलों हवा चलेगी,
और ना ही छांव...
तालाबों को न भरते हम सब॥
जल तो बर्बाद करते दिन भर,
कभी न करते चिंता हम सब,
जल के अभाव में पलते हम सब,
खुद का जीना खुद ही दुर्भर करते हमसब॥
नित नित पेड़ काटते हमसब,
जंगलों को बांटते हम सब॥
और न कोई पेड़ लगाते हम सब,
ताजी हवा को तरसते हम सब॥
बादल भी नही बरसते हमपर ॥
खुद का जीना खुद ही दुर्भर करते हम सब
ऐसा वक्त भी आयेगा इक दिन
कोई पानी पी न पाएगा इक दिन॥
फिर बिन पानी बिन पेड़ो के आखिर,
जीवन कैसे संभव होगा सोचो॥
यारो नाही कोई मीलों हवा चलेगी,
और ना ही छांव...