मेरे अंदर !!!
कुछ तो सुलग रहा है मेरे अंदर
तभी उठ रहा है ये धुआं
आज लगता है फिर इस बेचैन मन ने
खोदा है जख्मो का कुआँ ।।
हवाएं फिर बदल रही है आज
काले बादल चढ़ रहे हैं
जिस्म तो भीग रहा है इस बारिश में
रूह आज भी जल रही है।।
खुद से भागते बचाते हुए हम
यु दुनिया से पीछे छूट गए
अब भी अगर न रुके हम यहाँ पर
तो ता उम्र शायद पीछे भागते रहे।।
पर मूड़ कर तुरंत भागना...
तभी उठ रहा है ये धुआं
आज लगता है फिर इस बेचैन मन ने
खोदा है जख्मो का कुआँ ।।
हवाएं फिर बदल रही है आज
काले बादल चढ़ रहे हैं
जिस्म तो भीग रहा है इस बारिश में
रूह आज भी जल रही है।।
खुद से भागते बचाते हुए हम
यु दुनिया से पीछे छूट गए
अब भी अगर न रुके हम यहाँ पर
तो ता उम्र शायद पीछे भागते रहे।।
पर मूड़ कर तुरंत भागना...