।। चाहते।।
है खुद मे तन्हा तन्हा हम।
औरों कि खुशियाँ क्या परखे।
जब अपनो ने समझा ही नहीं,
तो गैरों से उम्मीदें क्या रखे।
जब नफरत भी डंग से मिली नहीं,
तो...
औरों कि खुशियाँ क्या परखे।
जब अपनो ने समझा ही नहीं,
तो गैरों से उम्मीदें क्या रखे।
जब नफरत भी डंग से मिली नहीं,
तो...