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प्यार का सफरनामा
एक जमाना मेरे ज़हन में बसता है और मेरे दिल में एक इंसान,
मेरी धडकनों में उसका प्यार बसता है और मेरी रुह में उसका वर्तमान,
मैं दीवाना उसकी खोज खबर रखता हूं वो रहता है मुझसे अंजान,
क्योंकि उसकी आन बान शान के लिए मेंने अपनी खुशी कर दी है कुर्बान,
पहले ऐसा मंजर ना था सीने में मेरे खंजर ना था वो रखता था मेरा ध्यान,
फिर वक्त ने ऐसी आंधी चलायीं और उसे अपने जीवन का हुआ ज्ञान,
क़यामत के दौर से जब दुनिया गुज़री हर रिश्ता हुआ परेशान,
आदमी से आदमी डरा और खौफ ने लाशों से भर दिया श्मसान,
जिस्म की दुरियां मन में घर कर गई जुदाई ने लिया हमारा इम्तिहान,
शायद मैं उसकी यादों में अब भी बसता हूं क्योंकि मैं हूं उसके प्यार की पहचान।
© DEV-HINDUSTANI