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लक्ष्य खुद ही चल पड़ेगा
*लक्ष्य ख़ुद ही चल पड़ेगा*

ले लो थोड़ी सांस पथिक, कितना तुम चलोगे
पांवों की पीड़ाओं में तुम, कितना और पलोगे

मंजिल पाना ज़रूरी, किन्तु स्वस्थ सदा रहना
विश्राम जरा लेकर, लक्ष्य धारा के संग बहना

अवसर पाते ही स्वयं में, शक्ति करना संचित
कदमों में बल के बिना, रहोगे लक्ष्य से वंचित

केवल चलते रहने से, तुम मंजिल ना पाओगे
आधे रस्ते में ही तुम, ख़ुद को पूरा थकाओगे
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