दास्तान अपनी
दर्द से शुरू हुई थी दास्तां अपनी
क्या दर्द पर ही खत्म होगी यह कहानी अपनी
ख्वाब मुकम्मल होंगे या अधूरे ही रह जाएंगे
क्या खुशियों के दिन मेरे हिस्से में भी...
क्या दर्द पर ही खत्म होगी यह कहानी अपनी
ख्वाब मुकम्मल होंगे या अधूरे ही रह जाएंगे
क्या खुशियों के दिन मेरे हिस्से में भी...