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तुम्हारी कविता
बात परसौ की है
चाहत बरसों की है,
तुम्हारी लिखी कविता पढ रहा था
मेरा मन बडा प्रफुल्लित हो रहा था,
लगभग हर विषय पर तुमने लिखा था
मुझे क्या इतना गहरा तुमने परखा था ?
तुम्हारी कल्पनाओं की उडान लेखन में झलकी थी
हमारे लिए लिखे हर लब्ज को तुम जी रही थी,
हमारी बुराइयाँ जमाना जी भरके करता है
हम पर संगिन इल्ज़ामात लगाते रहता है,
तुम्हारा टस से मस नं होना ये साबित करता है
तुम्हारा साथी तुम पर बेहद भरोसा करता है,
इस भरोसे की कसौटी पर हम खरा उतरेंगे
तुम्हारी कविता के हर शब्द को प्रमाणित करेंगे,
भरोसा ही प्रेम की सबसे बड़ी नींव होती है
इसी भरोसे की वजह से चाहत परवान चढ़ती है
© ख़यालों में रमता जोगी
चाहत बरसों की है,
तुम्हारी लिखी कविता पढ रहा था
मेरा मन बडा प्रफुल्लित हो रहा था,
लगभग हर विषय पर तुमने लिखा था
मुझे क्या इतना गहरा तुमने परखा था ?
तुम्हारी कल्पनाओं की उडान लेखन में झलकी थी
हमारे लिए लिखे हर लब्ज को तुम जी रही थी,
हमारी बुराइयाँ जमाना जी भरके करता है
हम पर संगिन इल्ज़ामात लगाते रहता है,
तुम्हारा टस से मस नं होना ये साबित करता है
तुम्हारा साथी तुम पर बेहद भरोसा करता है,
इस भरोसे की कसौटी पर हम खरा उतरेंगे
तुम्हारी कविता के हर शब्द को प्रमाणित करेंगे,
भरोसा ही प्रेम की सबसे बड़ी नींव होती है
इसी भरोसे की वजह से चाहत परवान चढ़ती है
© ख़यालों में रमता जोगी
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