...

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गज़ल- ज़िंदगी ना पूछो।
ज़िंदगी ना पूछो कि क्या है, क्या है।
ये तो बस एक बहती, हवा है, हवा है।

एक दीदार तेरा, दो लफ्ज़ मोहब्बत के
दर्द ए दिल की यही एक, दवा है, दवा है।

जबसे मिला हूं तुझसे, मैं रहता हूं गाफिल
चढ़ा मुझपे ये कैसा, नशा है, नशा है।

बुलाता हूं तो मिलने, क्यूं आते हो मुझसे
आग है तभी तो, धुआं है, धुआं है।

इश्क़ करना यहां, इतना आसां नहीं है
आगे खाई तो पीछे, कुआं है, कुआं है।
© वरदान