baadal
कुछ कहने को लगते आतुर
हे महान नभ के महा घन
अश्रु क्यों बहाते यूं निरंतर
कह दो निज व्यथा इस क्षण
हे महान नभ के महा घन
अश्रु क्यों बहाते यूं निरंतर
कह दो निज व्यथा इस क्षण