...

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यह गणतंत्र है ...
यह महापर्व है,
ये गणराज्यों का गणतंत्र है।
असंख्य माँ के सपूतों ने जान गवाई है,
तब जाकर कहीं यह शुभ घड़ी आई है।
हम भूल न जाए शहीदों के उन बलिदानों को,
इसलिए लहराते तिरंगे ने
शहीदों की गाथाएं गाई है।
इस मातृभूमि के खातिर कई दर्द,
कई यातनाएं वीरों ने सही,
अंतिम श्वास भी उनकी वंदे मातरम् ही कहे।
श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं,
उन वीर सैनानियों को आओ मिलकर नमन करते हैं,
जो मातृभूमि के खातिर है मिट गए।
कुछ यूं कहती हैं शहीदों की जबान,
हम रहे या ना रहे, तिरंगा लहराता रहे।
है!अल्ला, है! ईश्वर,
तुझे तो इतना ही कहे,
हम रहे या ना रहे,
मेरा वतन, मेरा चमन सलामत रहे।
सरहदों पर मिटने वालों को किसी,
जाति या मजहब से न जान,
जो भी मिटा है देश के खातिर,
हैं, वो मातृभूमि की सच्ची संतान।
आओ एकता के सुर में कहें,
जय जवान, जय किसान,
जय भारत जय हिंदुस्तान।
✍️मनीषा मीना