...

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पृकृति का बदला
वक़्त से पहले ही उसे बदलते रहने दो,
बेवफ़ा तुम हूए थे, अब उसे बदला लेने दो..

इज्जत, शौहरत सब जीससे मिला है तुम्हे,
अब थोड़ी इंसाफ भी उसके साथ होने दो..

वो मज़बूर नहीं, तुम्हे मजबुत बनाना सीखाया,
थोड़ी तुम भी मेहरबाँ, अपनी दिखदो...

सुख अगर नहीं दे सकते हो, तो दर्द क्यूँ,
पेड़-पत्ते को ना सही, जमींन पे घास को हरा रहेंने दो..

पहले तुम बे-नकाब थे, अब बुझदिल बन गये हो,
शर्म करो कुछ, धरा को अपने लिबास पहन ने दो..
© wingedwriter