...

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चाय और एक टूटा हुआ सपना ..
चाय की चुस्कियों में आज भी वह स्वाद
आता है ,
कुछ लम्हे याद
आते हैं ,
एक टूटा हुआ सपना
याद आता है ..
क्या हुआ … अगर कुछ सपने टूट गए ,
क्या हुआ ..
अगर कुछ लोग पीछे छूट गए ,
सँवार लेंगे फिर से उन टूटे हुए सपनों को ,
कमजोर पड़े अकेले तो पुकार लेंगे अपनों को ,
वो टूटे हुए सपने फिर से जाग जाएँगे ,
वो सिर्फ़ अपने ही हैं .. जो आख़िर तक साथ निभाएँगे ,
मंज़िल नयी है ,
अब एक नए रास्ते की तरफ़ मुड़ना है ,
पंखों को मज़बूत करके
आसमान की तरफ़ ..
एक बार फिर से उड़ना है ..