सपनें
क्या कभी सोचें है ,अगर सपनें न होते तो हम सब की लाइफ कैसी होती ...
सपनें भी अजीब है न जो रात में सोने नहीं देते और दिन में जीने नही देते , ख्वाइश भी कमबख्त कितनी अजीब है जो हकीकत से रूबरू होने नहीं देते..
अगर साँस भी रुकने लगे तो धड़कनों में जान भर देते हैं ये सपनें..
क्या कभी सोचे है अगर सपनें नही होते तो कुछ कर दिखाने की रगों में जुनून होता , अगर ख्वाइश नही होती तो क्या यूँही सर पे फितूर चढ़ता ,
सपने ही तो...
सपनें भी अजीब है न जो रात में सोने नहीं देते और दिन में जीने नही देते , ख्वाइश भी कमबख्त कितनी अजीब है जो हकीकत से रूबरू होने नहीं देते..
अगर साँस भी रुकने लगे तो धड़कनों में जान भर देते हैं ये सपनें..
क्या कभी सोचे है अगर सपनें नही होते तो कुछ कर दिखाने की रगों में जुनून होता , अगर ख्वाइश नही होती तो क्या यूँही सर पे फितूर चढ़ता ,
सपने ही तो...