...

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बिखर
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,

रिश्ता कहाँ बचता है
फिर शक कर के,
रोती हैं आँखें
उनको याद कर-कर के,

मत कर यकीन
अब फिर से उस पे,
जाने दे उसको
जो जाना चाहता हैं छोड़ कर के,



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