...

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मुझे क्या बना दिया
देखा खुदको आज आईने में
तो आंखों ने सब फलसफा सुना दिया।
कहा इस परछाई ने भी ज़िन्दगी को
देख मुझे क्या से क्या बना दिया।।

कभी हँसते हुए चेहरे के दीवाने थे लोग जहाँ
आज एक हवा के झोंके ने सारा नूर उड़ा दिया।
खिलखिलाती सी एक आवाज़ थी गूँजती
वक़्त ने उसे ख़ामोशी का हुनर सिखा दिया।।

जीने का अंदाज़ था हमारा भी सरफिरा
आज ग़मो ने उन्हें भी खुदगर्ज़ बना दिया।
अजीब सी कशमकश से गुज़र रही ज़िन्दगी
मरने की चाह ने बुज़दिल और जीने की राह ने इसे कातिल बना दिया।।

बातों में ना शायद जज़्बात ना शब्दों में एहसास बचे
ख़ामोशी की इस चादर ने इसे आदत बना दिया।
रोना भी अब बेवजह बेमतलब सा लगे
हादसों ने एक इंसान को पत्थर बना दिया।।

© goonj zindagi ki