...

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याद दिलाती है ......
हर नज़र आई वसंत आप की याद दिलाती है

कोयल की कूक, मोर का टहुकार बार बार,

याद दिलाती है......

काले बादल बिना बरसकर,

मेध की गर्जना पुकार कर,

याद दिलाती है।

नित्य नये पक्षी की चह चहा हट,

हर सुबह की ठंडी सी आहट

याद दिलाती है....

डाँ. माला चुडासमा "संकेत "
गीर सोमनाथ






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