...

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वो कल की बातें थी
कल वक्त कुछ अलग था,आज दौर कुछ अलग है।
कल ठिकाना कुछ अलग था ,आज ठौर कुछ अलग है।

थे पंख लगे अरमानों को ,उड़ती थी आसमान में
अब ढूंढ़ रही आसमान को ,अपने इस मकान में।

वह मौज़ कुछ अलग थी यह लहर कुछ अलग है।
वो गांव कुछ अलग थे ये शहर कुछ अलग है।।

हर पल रहती थी मैं तब रंगी सतरंगी रंग में।
अब ढूंढ रही उस रंग को अपने हीं जीवन में।।

कल उम्र कुछ अलग थी आज मन कुछ अलग है।
कल उमंग कुछ अलग थी आज पसंद कुछ अलग है।।

तिमिर में फैली चाँदनी थी मैं गुजरे हुए कल में।
अब ढूंढ़ रही उस कल को अपने मौजूदा हर पल में।

वो अंधेरे कुछ अलग थे ये रात कुछ अलग है।
वो समय कुछ अलग थे ये हालात कुछ अलग है।।
© shalini ✍️
#Life&Life