मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
मेरे है रूप अनेक,
जननी विधाता सरेख,
माँ नामक उद्भव है मुझसे
सोम प्राप्त होता है जिससे।।
भार्या हो कर मैं धर्म निभाती
बहन बन कवच कहलाती ।।
वक़्त की दंश को सहती
मैं तकदीर की लाचारी हूँ
मैं नारी हूँ।।
घर में अपने पराई हो जाती...
मेरे है रूप अनेक,
जननी विधाता सरेख,
माँ नामक उद्भव है मुझसे
सोम प्राप्त होता है जिससे।।
भार्या हो कर मैं धर्म निभाती
बहन बन कवच कहलाती ।।
वक़्त की दंश को सहती
मैं तकदीर की लाचारी हूँ
मैं नारी हूँ।।
घर में अपने पराई हो जाती...