बदलता समय
चाहा जिसे देखूं हर घड़ी,
अब उसी से नजरे चुराने लगे।
लो मंजिल बदल ली हमने,
दुजे रहो पर जाने लगे।
क्या करें कोई जब कश्ती,
धार के उल्टे दिशा में बहे।
कोशिश बीच धार से किनारो पर जाने की,...
अब उसी से नजरे चुराने लगे।
लो मंजिल बदल ली हमने,
दुजे रहो पर जाने लगे।
क्या करें कोई जब कश्ती,
धार के उल्टे दिशा में बहे।
कोशिश बीच धार से किनारो पर जाने की,...