...

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कौन हूं मैं???
वो अनजाना शहर ...अनजाने लोग
भटकती रही मैं..
मन ही मन ये कहकर
कोई नहीं अब तेरा...खुद ही है हर जगह संभलना

कौन हूं मैं???किधर चली मैं??

वो रास्ते पे मेरा चलना...
वो अचानक तेज हवाओं के साथ
पत्तों का गिरना...और मेरी धड़कन का तेज हो जाना
शायद सुरक्षित नहीं हूं मैं..

कौन हूं मैं?? किधर चली मैं???

दिनभर भटकती रही...सांझ होने को चली...
सूर्य भी डूबने को चला...मिला ना मुझे कहीं ठिकाना
डरी सेहमी - सी मैं...सो गई वहां
सड़क के सिवा कोई और
अपना नहीं था जहां

कौन हूं मैं??? किधर चली मैं???

@tentacle