...

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ज़िन्दगी कि डाँट
ज़िन्दगी की डाँट खा के
थोड़ा सा संभ्ले हे अभी
हम तो उड़ रहे थे गगन में बहुत ही ऊंचे
जिन्दगी ने जो अपना रंग दिखाया आके गिरे हम नीचे
हम खेलते भागते थे हमेशा थे हम पूरा चुल
जिन्दगी ने जो ठोकर मारी अभी हम चलना गए भूल
थोडा लड़खड़ाए गिरे पड़े पर उठ खड़ा हुए हम
वक़्त आया है सबको दिखाने कितना है मेरा दम
तमन्ना है मेरा फिर उठेंगे चलेंगे दौड़ेंगे भागेंगे हम
मुस्कुराएंगे फिर से भूलकर हमारे सारे गम
आशा है इस मुश्किल घड़ी में तुम दोगी मेरा साथ
भूल जाएंगे ये गम ये जिन्दगी हम जब थामेंगे तुम्हारा हाथ