खुशी
खुशी एक परिंदे की तरह उड़ती है
और प्रेम एक पत्ती की तरह
बुढ़ापे की तरह धीमी है दुख की पदचाप
यदि पंखों में ताकत है
तो पकड़ लो खुशी को
यदि पाँव तुम्हारे भाग सकते हैं
तो थाम लो प्यार को..
और प्रेम एक पत्ती की तरह
बुढ़ापे की तरह धीमी है दुख की पदचाप
यदि पंखों में ताकत है
तो पकड़ लो खुशी को
यदि पाँव तुम्हारे भाग सकते हैं
तो थाम लो प्यार को..