तुम्हें देखा...
तुम्हें जब पहले पहल देखा
तो न होश संभला न यह मन।
उस रोज़ यह दिल मानो कुछ बता रहा था,
मुझे किसी और को देखकर धड़कना भी आता है...
यह जता रहा था !
दिल के अंजुमन में मधु का प्याला छलक उठा !
तुझे जब अपनी ओर आता पाया तो दिल
बिना पीए ही बहक उठा!
तुम हकीकत हो या हो इक हसीन...
तो न होश संभला न यह मन।
उस रोज़ यह दिल मानो कुछ बता रहा था,
मुझे किसी और को देखकर धड़कना भी आता है...
यह जता रहा था !
दिल के अंजुमन में मधु का प्याला छलक उठा !
तुझे जब अपनी ओर आता पाया तो दिल
बिना पीए ही बहक उठा!
तुम हकीकत हो या हो इक हसीन...