...

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एक गुलाब उनके लिए....
नजरों की क़ातिल नज़र पड़ी जब हम पर;
दिल जोरों से धड़का ,लुट गए हम उन पर;
मौन खड़े बस इक टक देखते ही रह गए,
क्या कहें उनसे,क्या बीत रही अब दिल पर।

चारो तरफ उनको ढूंढती मेरी बेचैन नज़र;
ख्यालो में डूबा उनके, खुद की रही न ख़बर;
न जाने क्या जादू कर गयी वो हम पर,
अब न आंखों को चैन न दिल को सबर।

एक गुलाब तोड़ा है बगीचे से उनके लिए;
एक ख़्वाब देखा है उनको अपना करने के लिए;
वो मिले तो कह दूं सारे जज़्बात दिल के,
एक नजर देखें वो बस,कर जाऊंगा कुछ भी उनके लिए।
© pagal_pathik