...

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जीवन साथी
प्रेम के दीपक में जलती है
ज्यों अनगिनत भावों की बाती
बनके शब्द काग़ज़ पर चलती
क़लम में स्याही बन जाती
जीवन पथ पर हाथ थामकर
बिना थके चलती जाती
गठबँधन में बँधकर आई मैं
प्रिय हम तुम जीवनसाथी
बरसों बरस से संग तुम्हारे
अगले जन्म की दुआ मनाती
कभी रूठते कभी मनाते
कभी प्रेम झलकाती
कभी शिकायत की गठरी में
आँसू भरकर मुस्कुराती
प्रीत-रीत रस आलिंगन में
पल-पल उम्र बस घटती जाती
वचन अनोखे इस बँधन के
सात जन्म तक फिर बँध जाती
भाँति-भाँति भावों की कलियाँ
जीवन बगिया में खिल जाती
नियति ने कुछ सोच मिलाया
हर मुश्किल में हाथ थामकर
शिव में शक्ति बन जाती
प्रिय हम तुम जीवनसाथी!
नमिता चौहान