बात आज की
काव्य की विधा वही
जो दिल को छू जाये
मीरा और सूर का गाया
भक्ति रस कहाये
कबीर के बोल
सूक्तियां कहलाये
चन्द्र ने लिखी
पृथ्वीराज रासो
तो बरदाई कहाये
जावेद साहब लिखें
तो गीत मन में छाये
मैं लिख दूं कुछ तो
समझो बात
आज की गाये।।
© Mohan sardarshahari
जो दिल को छू जाये
मीरा और सूर का गाया
भक्ति रस कहाये
कबीर के बोल
सूक्तियां कहलाये
चन्द्र ने लिखी
पृथ्वीराज रासो
तो बरदाई कहाये
जावेद साहब लिखें
तो गीत मन में छाये
मैं लिख दूं कुछ तो
समझो बात
आज की गाये।।
© Mohan sardarshahari