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shayri!!
जब शायर अपनी जुबानी बंद कमरे में हजारों लोगो को अपनी पंक्तियां सुनाता है तो मोहोल कुछ ऐसा बनता है जैसे...
"ये दिल चीखे तो चीखे बड़ी जोर से
तालिया गूंजे तो गूंजे, लगे शोर से
अब मैं अकेला नहीं इस अंधेरे में
हजारों दिल चीखे चारो ओर से"
"ये दिल चीखे तो चीखे बड़ी जोर से
तालिया गूंजे तो गूंजे, लगे शोर से
अब मैं अकेला नहीं इस अंधेरे में
हजारों दिल चीखे चारो ओर से"
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