काश...!
काश ऐसा हो जाए,
तेरे कदमों की आहट से उड़े जो भी मिट्टी
मेंरे चेहरे पर परत बन जम जाए,
तेरे जिस्म से छूकर निकले जो भी हवा,
आकर मेरे वो सीने को ठंड पाए,
तुम्हें सजदा सा करती...
तेरे कदमों की आहट से उड़े जो भी मिट्टी
मेंरे चेहरे पर परत बन जम जाए,
तेरे जिस्म से छूकर निकले जो भी हवा,
आकर मेरे वो सीने को ठंड पाए,
तुम्हें सजदा सा करती...