...

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एक कैद पंछी है तू........
एक कैद पंछी है तू,
ज़ंज़ीरो से बंधी हुई है तू।
निराश न हो तू,
होगा वो आसमान तेरा।

रात है अंधेरी,
तो उसे प्रकाशित कर
बीत गए हज़ारों वर्ष,
सोचते - सोचते कि बेटियां है निरक्षर।
तोड़ कर सारी जंज़ीरें
उठ, आगे बढ़।
देश को उजागर कर।

हैं वो दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी का रूप,
कर उनका सम्मान
होगा कल्याण।।
© Sweet wonder