...

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तुम कहते हो।
( तुम --इंसान के अंदर छिपा हुआ उसका आपना आप )

बिना चमके ही, टूट जाने को तुम कहते हो!
बिना खिले ही,सूख जाने को तुम कहते हो!
माना कि बुलबुले की ,ज़िन्दिगी है बड़ी...