...

5 views

#अक्स
#अक्स
मै ख्यालों मे एक अक्स बनाया करता हूँ
फिर उसे कल्पनाओ से सजाया करता हूँ
रंग उस पर सभी फिके लगते है
इसलिए मै उसमे सितारे लगाया करता हूँ।

कभी उसे बहते पानी मे बनाया करता हूं
कभी उसे उगते सूरज से सजाया करता हूं
उसके चेहरे को मै रोज
रेत पर लकीरें खींच कर बनाया करता हूं।

कभी जंगल मे उसको देखा करता हूँ
कभी परिंदो मे उसको सुना करता हूं
वो अक्स ओझल हो जाता है अक्सर
जिसे हर रोज मै सच मे खोजा करता हूँ।।


© Nitish Nagar