...

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तू..... मैं....
तू पर्वतों पर रहता बादल आवारा

मैं बरसती बूँदों का पानी

तू हर बदलते मौसम का रवानी

मैं पतझड़ की खोई कोई कहानी

तू सीधी लंबी सी एक सड़क

मैं टेढ़े-मेढ़े रास्तों से बनी

तू रूह में बसा एक शांत सा ख्वाब

मैं अशांत सी बहती दुनिया में एक आब

तू वो आदत जिसे थाम के चलूं मैं

किसी और जहां में तुझे फिर मिलूं मैं.....

© Gauri_68