mohobbat
पूछते हो तुम क्या करूँ मैं
जब बताती हु कुछ तो करते नही हो तुम।
बार बार अंदेखा करके छोड़ देते हो
ओर कहते हो मेरी मोहोबत हो तुम ।
फिर इतना क्यों रूलाते हो मुझको
हद से ज्यादा क्यों सताते हो मुझको
ऐसे करते हुए दिल हमेशा क्यों तोड़ते हो तुम ।
अगर प्यार है मुझसे तो दिखाते कम क्यों हो
जब हक़ पूरा है तुमको तो जताते कम क्यों हो ।
बार बार अंदेखा करते रहते हो मुझको
ओर कहते हो मेरी मोहोबत हो तुम ।।
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