...

1 views

इंतजार रहने तक।
वक्त की जरूरत को समझते हैं हम खुश नहीं मगर,
समझौते करने होते हैं वक्त से अगर पानी है कोई डगर,
प्रिय तुम वापस आ जाना हम में प्यार रहने तक।
• ना उम्मीद ना हो जाऊं आ जाना इंतजार रहने तक।।
इरादे बलंद है तेरे मगर सुनो, रास्ते आसान नहीं,
हां हम ये भी जानते हैं कि तुम इतने नादान नहीं,
मंजिलों का महत्ता है मगर खुद के बरकरार रहने तक।
• ना उम्मीद ना हो जाऊं आ जाना इंतजार रहने तक।।
जहां से भी चाहो वापिस आ जाना हमें ना गिला होगा,
तुमसा जिंदगी में ना है ना तब तक कोई मिला होगा,
अपनापन होता ही है एक दूजे पर अधिकार रहने तक।
• ना उम्मीद ना हो जाऊं आ जाना इंतजार रहने तक।।
© Dharminder Dhiman