badnam
माना कि तेरी निगाहों में ""
ए दोस्त मेरे -मैं गिर चुका हूं ।
मगर अब भी,
ईस हकीकत से तू वाकिफ नहीं।।
मैं शख्स बदनाम हू,
ईस का सभी को है इल्म।
मगर निगाहों में मेरे उर्यानी (नंगा पन) तो नहीं।।।
मेने देखा तुम्हे हसरत भरी निगाह से,
बस इतना गुनाह है,मेरी निगाह का।
कभी देखा ना तुम्हे"""
माता-ए-कुचा-ओ-बाज़ार-की सय की तरह""
(बाजार मे बिकने वाले समान की तरह)
सोज़
© jitensoz
ए दोस्त मेरे -मैं गिर चुका हूं ।
मगर अब भी,
ईस हकीकत से तू वाकिफ नहीं।।
मैं शख्स बदनाम हू,
ईस का सभी को है इल्म।
मगर निगाहों में मेरे उर्यानी (नंगा पन) तो नहीं।।।
मेने देखा तुम्हे हसरत भरी निगाह से,
बस इतना गुनाह है,मेरी निगाह का।
कभी देखा ना तुम्हे"""
माता-ए-कुचा-ओ-बाज़ार-की सय की तरह""
(बाजार मे बिकने वाले समान की तरह)
सोज़
© jitensoz