स्वागत नववर्ष
अनंत के छोर से उपजी
एक विशाल सरिता
अनवरत गतिमान अपरिमित
जलराशि से लबरेज
सब कुछ उखाड़ती पछाड़ती बनाती मिटाती
ब्रह्मनाद का अद्भुत संगीत सुनाती निखारती
बही जा रही है....
दिशाओं से अनभिज्ञ
गहनता और ऊंचाई से परे
सत्य , शिव और सौंदर्य को
परिभाषित - उद्भासित करती
कहाँ से कहीं जा रही है......
मानव ने इस अनंत प्रवाह को
वर्षो , दशकों और सदियों में
आभासित किया है.....
अपनी क्षमताओं के अनुसार
धंसा दिए हैं कुछ मील के पत्थर
और उसे स्वयं निर्मित परंपरा से
नियत अंतराल पर
नववर्ष...
एक विशाल सरिता
अनवरत गतिमान अपरिमित
जलराशि से लबरेज
सब कुछ उखाड़ती पछाड़ती बनाती मिटाती
ब्रह्मनाद का अद्भुत संगीत सुनाती निखारती
बही जा रही है....
दिशाओं से अनभिज्ञ
गहनता और ऊंचाई से परे
सत्य , शिव और सौंदर्य को
परिभाषित - उद्भासित करती
कहाँ से कहीं जा रही है......
मानव ने इस अनंत प्रवाह को
वर्षो , दशकों और सदियों में
आभासित किया है.....
अपनी क्षमताओं के अनुसार
धंसा दिए हैं कुछ मील के पत्थर
और उसे स्वयं निर्मित परंपरा से
नियत अंतराल पर
नववर्ष...