...

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इश्क़ _ए_फ़रवरी
टूटेंगे कई दिल फ़िर से
फ़िर से हज़ारों गम के
रिश्तों की शुरुआत होगी
होगा किसी के पास
आंसूं पोछने वालों का अम्बार
किसी की आंसूओं से भरी रात होगी
होगा किसी का महफ़िल सूना
किसी के मंच पर इश्क़ की बरसात होगी
होगा कोई उलझा अनेक रिश्तों में
किसी की रिश्तों से खाली हाथ होगी
होंगी बौछारें कहीं आंधी _तूफ़ानों की
कहीं बिना बारिश बिस्तर भींगें मिलेंगे
रूकेगी नहीं कहीं खुशी किसी की
कहीं हंसने के भी शायद ना वजह मिलेंगे
कांप रहें हैं होंठ किसी के
किसी की खुशी बातों में छलक रहीं हैं
है बेकरार कहीं नज़रें किसी की
किसी की नज़रों में सिर्फ
नज़र ही झलक रही है
कहीं मोहब्बत कहीं रंजिशें
कहीं अनोखा सा कोई दामन ला रहा है
इन्तज़ार है किसी को करना तो
किसी के लिए कुछ खास
कुछ पावन आ रहा है
कुछ तुमसे दूर, कुछ हमसे परे
कहीं पर कोई सावन आ रहा है
हां कल कहते हुए लोगों को मैंनें भी ये सुना
शायद फ़रवरी का मौसम आ रहा है।।
© Princess cutie

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