prinda
वो खुश नसीब सा परिंदा , बड़ा ना खुश सा है हमें पा कर,
वो जानता है , महोबबत बे शुमार है।
पर खोने का डर राजगार है।
उसने कहां वफ़ा से वफ़ा की।
वो दुसरो की महफ़िल में खिलता , बेशुमार है।
शर्मिंदा है, आंखों में दिखता है।
लब सिले हुए हैं, क्योंकि लफ्ज़...
वो जानता है , महोबबत बे शुमार है।
पर खोने का डर राजगार है।
उसने कहां वफ़ा से वफ़ा की।
वो दुसरो की महफ़िल में खिलता , बेशुमार है।
शर्मिंदा है, आंखों में दिखता है।
लब सिले हुए हैं, क्योंकि लफ्ज़...