...

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मैं तुझे फिर मिलूँगी
मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहा ? कैसे ? पता नहीं
श्याद तेरी कल्पनाओ की प्रेरणा बन कर
या श्याद तेरे वनवास पर
एक रहस्यमयी लकीर बन
ख़ामोश तुझे देखती रहूँगी
हाँ में तुझे फिर मिलूँगी!!

तेरी किताबों के बीच
सुखी सी गुलाब की तरह महकूँगी
तेरे आँखो से आँसू बन बहूँगी
तुझे अपने सीने से लगाकर तेरी सिसकियाँ सुनूँगी!
तेरा हाथों को अपने हाथों में थाम कर
तुझे एक टक देखती रहूँगी
हाँ में तुझे और सिर्फ़ तुझे फिर मिलूँगी !

© Peekaasoul ✍🏼

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