...

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नाकाम...
हर कोई पुरानी ख्वाइश पूरी करने लगे है
कोई सपने जी रहे है
कही गाडी, कही कोठी
कही घूमना, किसीसे मिलना
कोई अपना तो कोई पराया

मै तो जीने की सोच रहा हू
दो वक्त की रोटी के सपने देखता हूं
सिर पे छप्पर या चद्दर की खवाइश रखता हूं
मे सिर्फ मेरे साथ ही होता हूं
ऊपरवाले से मिलना चाहता हु लेकिन केहेते है वो भी नसीब की बात है

इसीलिये शायद मै नाकाम केहलाता हु
© omkar's