zindagi...not fair
समुझ न पाया कोइ भी ये सात अक्षारो का खेल
सफ़र मे जिसके चल रहे वही है ज़िंदगी की रैल
सावाल मन में हैं कई जो पुचता हुं तुझसे आज
सुकुन से तु जीने का बाता जरा मुजे भी राझ
क्यूँ खफा है मुजसे तू, एैसा भी है क्या हुआ?
औरों की तरह मुझे क्यूँ सुख नसीब ना हूअा?
घम मिले कई यहां, जख्म भी तो कम न हैं
बतादे जिंदगी मुझें तू क्यूं इतनी NOT FAIR है?
(ज़िन्दगी का जबाव)
खफा में...
सफ़र मे जिसके चल रहे वही है ज़िंदगी की रैल
सावाल मन में हैं कई जो पुचता हुं तुझसे आज
सुकुन से तु जीने का बाता जरा मुजे भी राझ
क्यूँ खफा है मुजसे तू, एैसा भी है क्या हुआ?
औरों की तरह मुझे क्यूँ सुख नसीब ना हूअा?
घम मिले कई यहां, जख्म भी तो कम न हैं
बतादे जिंदगी मुझें तू क्यूं इतनी NOT FAIR है?
(ज़िन्दगी का जबाव)
खफा में...