...

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विदाई
वह नन्ही सी गुड़िया...
न जाने कब बड़ी हो गई
विदा की घड़ी है उसकी..
फिर वह पराई हो गई...

छोड़ बाबूल का आसियाना ...
उसे नये घर जाना है
यह सोच वो‌ बेटी रो दी...
क्यूं मैं इतनी जल्दी बड़ी हो गई.....

मां के आंचल में खेली वो...
पापा के कंधों पर घुमी थी
दादा दादी के प्यार में नाजों से पली वो बेटी.....
आज किसी और की जिंदगानी हो गई....

यह सोच वो बेटी रो दी...
क्यूं मैं इतनी जल्दी बड़ी हो गई
क्या सच में पापा... आज मैं पराई हो गई ?
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