...

25 views

यूँ हमेशा से ना था
रंगो की चाह मुझमें भी थी
यूँ बेरंग मै हमेशा से ना थी,

ख्वाहिशों से भरा मेरा भी शहर था
यूँ सुनी गलियां हमेशा से ना थी,

खुशियाँ से खिलखिलाते मन के बगीचे मेरे भी थे
यूँ खामोशियो से भरे बंज़र खेत हमेशा ना थे,

उम्मीदों के सूरज हर रोज़ उगते मेरे आँगन मे भी थे
यूँ उदासियों से भरी तन्हाईयाँ हमेशा से ना थी,

मैं भी खुद को जानती, पहचानती थी
यूँ खुद से ही मिलने को तरसती हमेशा से ना थी,

मेरी ज़िन्दगी भी संगीत से भरी, कविताओं की पंक्तियों से सजी थी
यूँ कोरे कागज़ सी कोरी हमेशा ना थी,

सब बदल गया इक पल मे जब ज़िन्दगी ने करवट ली
और ख्वाबो की दुनियां हकीकत से जा टकरा गयी,

ठुकरा दिया उन्ही गलियों के रास्तो ने हमें
जिन राहों ने साथ चलने का वादा किया था,

काश चोट दिल पर ना लगती तो
ये मंज़र ना होता और तन्हा दिल यूँ ना रोता,

इक वक्त था मै भी महफ़िलो कि जान हुआ
करती थी
यूँ जीने कि चाहत छोड़ मौत का इंतज़ार मुझे हमेशा से ना था.......


_कल्पना_