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हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास
हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास

( वीर गाथा काल )


हिंदी का इतिहास बड़ा ही दर्शन है ।
यह जीवन के साथ घटित परिवर्तन है ।।
कलमकार ने वक़्त नाद को श्रवण किया ।
तत्कालीन परिस्थितियों को ग्रहण किया ।।

शब्द गढ़े ऐसे कि जिसमें दृष्टि जगे ।
अर्थ उठे ऐसे की जिसमें सृष्टि जगे ।।1।।

संस्कृत के आबाद शब्द आजाद हुए ।
आदिकाल में हिंदी के अनुवाद हुए ।।
जैन बौद्ध चारण नाथों ने गीत गढ़े ।।
सबने अपने आश्रय के संगीत पढ़े ।।

राजाओं की विजय कथा का गान हुआ ।
बंदी जन का विरदावली बखान हुआ ।।
गोरखनाथ भर्तिहर जैसे सिद्ध हुए ।
इनके सब साहित्य विशेष प्रसिद्ध हुए ।।

पुष्पदंत जयपाल जैन कृति कार उगे ।
रासो के साहित्य वीर उद्गार जगे ।।2।।

जगनिक ने आल्हा का सुंदर गान किया ।
बरदाई ने पृथ्वीराज बखान किया ।।
खुसरो की प्रख्यात पहेली उदित हुई ।
विद्यापति की छंदावलि अवतरित हुई ।।

इस्लामी संघर्ष कर रहा जन जन था ।
आदि काल में हिंदी का अतिरंजन था ।।
देश और संस्कृति की रक्षा कौन करे ।
कलमकार जब वीर चेतना मौन धरे ?

हिंदी में तब मत्तगयंदी तार लगे ।
कायर को भी युद्ध जोस साकार लगे ।।3।।

@ सुजान तिवारी "समर्थ "
© Sujan Tiwari Samarth