...

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एक सोच मेरी ज़िंदगी बन गाई
अपनी बेसहारा ज़िंदगी लिए मे एक पाव जा रहा था,
टूटे सपने, बिखरे यार मे समेटे जा रहा था,
किस्मत मेरी, मौत से ठन गई,
हारना नही ये कुछ पल की हैं,
यही सोच मेरी ज़िंदगी बन गई।
अपनी लकीर को घिसे मैं जा जा रहा था,
पल-पल मैं सोचे चला जा रहा था,
अचानक मेरी रूह मुद गई,
अपनी बारी आने से थम गई,
हरण नही ये कुछ पल की है,
यही सोच मेरी ज़िंदगी बन गई।

© SAM😌