...

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ढूँढ़ रहा था
वो कल दराज में मेरी लिखी हुई एक किताब ढूँढ़ रहा था
पहली बार वो खुद में मुझे इतने दिनों बाद ढूँढ़ रहा था

मैंने सवाल किये ही नहीं फिर भी वो जवाब ढूँढ़ रहा था
शायद जवाब मिले नहीं तभी तो मेरी किताब ढूँढ़ रहा था

मैंने कितना समझा है उसे वो इसका हिसाब ढूँढ़ रहा था
फिर न जाने क्यों मुझे ही हर तरफ बेहिसाब ढूँढ़ रहा था

अपनी निगाहों में मेरा बरसों पुराना ख़्वाब ढूँढ़ रहा था
बड़ी फुर्सत से अपनी कहानी में मुझे आज ढूँढ़ रहा था