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भारतीय मसाले
मिर्च मसालों के बिना,सब लगे रसोई पौन।
रसना के रस के बिना, चखे भूल से कौन।।
अविकसित जब विश्व था,पशुवत सब का भोज।
भारत ने उस दौर में, सब लिए मसाले खोज।।
यह भी तब जाना गया, क्या इनके है गुण दोष।
कितनी लें नित मात्रा, तन जिस से हो निर्दोष।।
उत्पादन कैसे करें, कैसा हो मौसम अनुकूल।
ओषधि ये है किस मर्ज की , कैसे हरते तन शूल।।
सोने की चिड़िया बना, व्यापार किया भरपूर।
सारी दुनिया में हिंदके,मसाले महक गए अतिदूर।।
लालच दुनिया में जगा, हो कैसे इनपर अधिकार।
हमले झेले भारत देश ने, इस कारण ही हर बार।।
है दुनिया में आज भी, सर्वोत्तम इनकी सुगंध।
भरते मुद्रा विदेश की, ये हर देश की है पसंद।।
चाट मसाले जो सदा, भरते हैं पेट में रोज।।
आंत अगर अस्वस्थ हो, तो ले देसी घृत की डोज।।
अलग अलग प्रकार है, हर भारत के भूभाग।
यहां की नारी जानती, कैसे करना उपयोग।।
बिना मसाले की रसद, लेते है कुछ लोग।
संत ऋषि और तापसी,करते जो हैं योग।।
कामोत्तेजक जानकर,करते इनका त्याग।
वे तीन कालकी जानते,रहते सदा बेदाग।।
सकल विश्वमें भारतीय,मसालों की पहचान।
खुशबू जग जाहिर सदा, सब करते इनका सम्मान।।
रसना के रस के बिना, चखे भूल से कौन।।
अविकसित जब विश्व था,पशुवत सब का भोज।
भारत ने उस दौर में, सब लिए मसाले खोज।।
यह भी तब जाना गया, क्या इनके है गुण दोष।
कितनी लें नित मात्रा, तन जिस से हो निर्दोष।।
उत्पादन कैसे करें, कैसा हो मौसम अनुकूल।
ओषधि ये है किस मर्ज की , कैसे हरते तन शूल।।
सोने की चिड़िया बना, व्यापार किया भरपूर।
सारी दुनिया में हिंदके,मसाले महक गए अतिदूर।।
लालच दुनिया में जगा, हो कैसे इनपर अधिकार।
हमले झेले भारत देश ने, इस कारण ही हर बार।।
है दुनिया में आज भी, सर्वोत्तम इनकी सुगंध।
भरते मुद्रा विदेश की, ये हर देश की है पसंद।।
चाट मसाले जो सदा, भरते हैं पेट में रोज।।
आंत अगर अस्वस्थ हो, तो ले देसी घृत की डोज।।
अलग अलग प्रकार है, हर भारत के भूभाग।
यहां की नारी जानती, कैसे करना उपयोग।।
बिना मसाले की रसद, लेते है कुछ लोग।
संत ऋषि और तापसी,करते जो हैं योग।।
कामोत्तेजक जानकर,करते इनका त्याग।
वे तीन कालकी जानते,रहते सदा बेदाग।।
सकल विश्वमें भारतीय,मसालों की पहचान।
खुशबू जग जाहिर सदा, सब करते इनका सम्मान।।
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