...

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सोचो ज़रा....🤔
कभी सोचो बैठ कर की
ये बढ़ती उम्र की अभिलाषा क्या है
कभी सोचो बैठ कर की
ये उलझे हुए मन की भाषा क्या है

फुर्सत मिले तो सोचो तुम
जो कर रहे है क्या वो सही है
जो पाने की चाहत है तुम्हारी
मेहनत से मिलता क्या वो नही है ।

एक दिन यूँ ही जब खुदा से पूछा मैंने ,
की ये मेरे अंदर कैसा चल रहा शोर है
हँसकर कर कहता तेरी चाहत कुछ ओर थी
और अब तेरा रास्ता कुछ और है ।

जरा सोचो ........





© @__Dil _ki_baate_