...

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"मैं"
धीमे-धीमे सहज बढ़ो,
पग-पग कोमल पहर धरो,
श्वास-श्वास से जन्मा जीवन,
फिर वही विश्वास हरो।

धरा गई अब छूट तो क्या,
नभ जैसे तुम बन जाओ,
दूर तलक बहते जाओ,...