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एहसास ए मोहब्बत
जलाओ इस तरह दिल को,कि जलकर राख हो जाये।
सितम इतने करो कि दिल की हर तमन्ना खाक हो जाये।।
मेरी खुशियों के फूलों से,सजा लो इस तरह खुदको ।
झुकी तू बोझ से गुल की,चमन की शाख हो जाये।।
मगर इतना करम करना, न कहना बेवफा मुझको।
मोहब्बत रुस्वा हो भी अगर, कहीं नापाक न हो पाये।।
मेरी तरसती जवानी पर,यह एहसान भी करना तुम।
कत्ल करना भी अगर तो ऐसे कि खंजर साफ हो जाये।।
सितम इतने करो कि दिल की हर तमन्ना खाक हो जाये।।
मेरी खुशियों के फूलों से,सजा लो इस तरह खुदको ।
झुकी तू बोझ से गुल की,चमन की शाख हो जाये।।
मगर इतना करम करना, न कहना बेवफा मुझको।
मोहब्बत रुस्वा हो भी अगर, कहीं नापाक न हो पाये।।
मेरी तरसती जवानी पर,यह एहसान भी करना तुम।
कत्ल करना भी अगर तो ऐसे कि खंजर साफ हो जाये।।
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